हिमाचल में OPS को बजट की कमी नहीं: बागवानों की सस्ती दवाइयां को 10 करोड़ भी नहीं; डिमांड 1100 MT की, खरीदे 98MT कीटनाशक

हिमाचल में OPS को बजट की कमी नहीं: बागवानों की सस्ती दवाइयां को 10 करोड़ भी नहीं; डिमांड 1100 MT की, खरीदे 98MT कीटनाशक

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शिमला3 घंटे पहले

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प्रतीकात्मक तस्वीर - Dainik Bhaskar

प्रतीकात्मक तस्वीर

हिमाचल के NPS कर्मचारियों की ओल्ड पेंशन स्कीम (OPS) पर सरकार करोड़ों रुपए खर्च कर सकती है। मगर, बागवानों को सस्ते दाम पर कीटनाशकों के लिए सरकार 10 करोड़ भी नहीं दे पा रही। पूर्व भाजपा सरकार ने तो सब्सिडी पर कीटनाशक देने की बंद कर दिए थे।

सूबे के बागवानों ने हॉर्टीकल्चर डिपार्टमेंट से 1100 मीट्रिक टन से ज्यादा कीटनाशकों की मांग कर रखी है, लेकिन बजट की कमी के अभाव में विभाग सिर्फ 98 मीट्रिक टन दवाइयां खरीद पाया है। इस पर लगभग 5.94 करोड़ खर्च किए गए हैं। इस तरह डिमांड की 10 फीसदी दवाइयां भी विभाग नहीं खरीद पाया है।

हालांकि डिमांड को देखते हुए बागवानी विभाग ने राज्य सरकार से 18 करोड़ रुपए अतिरिक्त बजट की मांग कर रखी है, लेकिन इसकी फाइल पर फाइनेंस डिपार्टमेंट की नजर-ए-इनायत नहीं हो रही।

25 से 50% सस्ते दाम पर कीटनाशक देता है विभाग

कीटनाशकों को विभाग 25 से 50 फीसदी अनुदान पर मुहैया कराता है। विभाग जब बागवानों को कीटनाशक देता है, तब ओपन मार्केट में भी दवाइयों के दाम कंट्रोल रहते हैं। वर्ष 2021 में जयराम सरकार ने विभाग के माध्यम से मिलने वाले सब्सिडाइज कीटनाशक बंद किए थे और DBT के जरिए कीटनाशकों पर सब्सिडी देने का निर्णय लिया था।

मगर, 2021 में एक भी बागवान को DBT से सब्सिडी नहीं मिल पाई थी। इसकी आड़ में ओपन मार्केट में व्यापारियों ने मनमाने दाम पर कीटनाशक बेचें। तब बागवानों के विरोध और हड़ताल के बाद जयराम सरकार को DBT के जरिए कीटनाशक देने का फैसला पलटना पड़ा और सब्सिडी पर कीटनाशक बहाल कर दिए।

ऊंट के मुंह में जीरा साबित हो रहा बजट

प्रदेश में सबसे ज्यादा कीटनाशकों की जरूरत सेब के लिए पड़ती है। सेब बहुल क्षेत्रों में लगभग 80 फीसदी विधानसभा सीटें बागवानों ने कांग्रेस की झोली में डाली है। बावजूद इसके कांग्रेस सरकार भी बागवानों को सस्ते कीटनाशक मुहैया कराने को गंभीर नहीं है।

दवाइयों की खरीद को जितना बजट दिया गया है, वह ऊंट के मुंह में जीरा साबित हो रहा है। ऐसे में बागवानी विभाग 18 करोड़ अतिरिक्त बजट मिलने के इंतजार में बैठा है, ताकि अतिरिक्त दवाइयों की खरीद की जा सके।

600 मीट्रिक टन तक दवाइयां मुहैया कराता रहा विभाग

बीते सालों के दौरान बागवानी विभाग 400 से 600 मीट्रिक टन दवाइयां बागवानों को उपलब्ध कराता रहा है। इस बार केवल 98 मीट्रिक टन दवाइयां खरीदी गई है। प्रदेशभर के फार्मर बागवानी विभाग से दवाइयां खरीदते हैं, क्योंकि ओपन मार्केट में बागवानी विभाग की दवाइयां की तुलना में 50 प्रतिशत तक महंगे कीटनाशक मिलते है।

बजट मिलते ही करेंगे और दवाइयों की खरीद

बागवानी विभाग की वरिष्ठ पौध संरक्षण अधिकारी कीर्ति सिन्हा ने बताया कि विभाग बागवानों को उनकी जरूरत के हिसाब से सब्सिडाइज दवाइयां दे रहा है। कीटनाशकों की डिमांड को देखते हुए सरकार से इसकी खरीद को अतिरिक्त बजट की मांग की गई है। इसकी अनुमति मिलते ही बागवानों को और कीटनाशक मुहैया कराए जाएंगे।

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