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हिमाचल के अमलेला गांव के 25 वर्षीय अनिकेत भारतीय सेना की डोगरा रेजिमेंट में थे. वह लंबी बीमारी के बाद वीरगति को प्राप्त हुए. तिरंगे में लिपटा पार्थिव शरीर गांव पहुंचते ही मातम छा गया. सैन्य सम्मान के साथ अंतिम …और पढ़ें

मुखाग्नि देते हुए शहीद की बहन
हाइलाइट्स
- हिमाचल के अमलेला गांव के 25 वर्षीय अनिकेत भारतीय सेना की डोगरा रेजिमेंट में थे.
- वह लंबी बीमारी के बाद वीरगति को प्राप्त हुए.
- तिरंगे में लिपटा पार्थिव शरीर गांव पहुंचते ही मातम छा गया.
कांगड़ा: हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले के नगरोटा सूरियां के अमलेला गांव का 25 वर्षीय बेटा अनिकेत, जो भारतीय सेना की डोगरा रेजिमेंट में अपनी सेवाएं दे रहा था, अब इस दुनिया में नहीं रहा. लंबे समय से बीमारी से जूझने के बाद वीरवार को दिल्ली के सैनिक अस्पताल में उन्होंने अंतिम सांस ली.
शुक्रवार सुबह जब अनिकेत का पार्थिव शरीर तिरंगे में लिपटा हुआ उनके पैतृक गांव पहुंचा, तो पूरे गांव में मातम छा गया. मां नीलम बेसुध पड़ी थी, बहन आकांक्षा भाई की पार्थिव देह देखते ही बेहोश होकर गिर पड़ी, और पिता रमेश का रो-रोकर बुरा हाल था. गांव का हर व्यक्ति इस वीर जवान को खोने का दर्द महसूस कर रहा था. चारों ओर चीख-पुकार थी, आंखों से आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे.
आठ महीने से चल रहा था इलाज
अनिकेत पिछले आठ महीने से गंभीर बीमारी से लड़ रहे थे. दिल्ली के सैनिक अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था, लेकिन डॉक्टरों की लाख कोशिशों के बाद भी उन्हें बचाया नहीं जा सका. उनका जाना पूरे परिवार के लिए एक गहरा आघात था. वे अपने माता- पिता के इकलौते बेटे और बहन आकांक्षा के इकलौते भाई थे.
सैन्य सम्मान के साथ अंतिम विदाई
अनिकेत को सैन्य सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी गई. अमलेला के श्मशान घाट में उनका अंतिम संस्कार किया गया. धर्मशाला के स्टेशन हेडक्वार्टर से आई सेना की टुकड़ी ने उन्हें सलामी दी. कर्नल एस.एस. सिशोदिया ने सेना की ओर से पुष्प चक्र अर्पित कर श्रद्धांजलि दी, जबकि प्रशासन की ओर से नगरोटा सूरियां तहसील की तहसीलदार शिखा ने श्रद्धांजलि अर्पित की.
बहन ने दी मुखाग्नि
अनिकेत की अंतिम चिता को उनकी बहन आकांक्षा ने मुखाग्नि दी. यह भावुक क्षण था, जिसने हर किसी की आंखें नम कर दीं. गांव के पूर्व प्रधान प्रभात चौधरी, भाजपा नेता संजय गुलेरिया सहित सैकड़ों लोग इस वीर सपूत की अंतिम यात्रा में शामिल हुए और उन्हें श्रद्धांजलि दी.
गांव के बेटे की शहादत से हुई हर आंखें नम
अनिकेत सिर्फ अपने परिवार ही नहीं, बल्कि पूरे गांव का गौरव थे. उनकी देश सेवा, संघर्ष और बलिदान को हमेशा याद रखा जाएगा. आज अमलेला गांव ने अपना बेटा खो दिया, लेकिन देश को एक सच्चे वीर की कहानी मिल गई, जो आखिरी सांस तक जूझता रहा.
Kangra,Himachal Pradesh
March 09, 2025, 13:26 IST
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