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हिमाचल के किसानों के लिए बड़ा मौका! अब मक्की के साथ सोयाबीन उगाकर होगी डबल कमाई! जानें कैसे?

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हिमाचल के किसान अब मक्की के साथ सोयाबीन उगाकर ज्यादा मुनाफा कमा सकते हैं. पालमपुर कृषि विश्वविद्यालय ने जल्दी पकने वाली सोयाबीन की नई किस्मों पर शोध शुरू किया है. इससे गेहूं की बुवाई में देरी न हो. यह पहल किसान…और पढ़ें

किसानों के लिए बड़ा मौका! अब मक्की के साथ सोयाबीन उगाकर होगी डबल कमाई!

कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर 

हाइलाइट्स

  • हिमाचल के किसान अब मक्की के साथ सोयाबीन उगाकर ज्यादा मुनाफा कमा सकते हैं.
  • कृषि विश्वविद्यालय ने जल्दी पकने वाली सोयाबीन की नई किस्मों पर शोध शुरू किया है.
  • यह पहल किसानों की पैदावार और आर्थिक मजबूती देगी.

कांगड़ा: हिमाचल प्रदेश के किसानों के लिए अच्छी खबर है. अब वे मक्की की फसल के साथ सोयाबीन की खेती करके ज्यादा मुनाफा कमा सकते हैं. पालमपुर कृषि विश्वविद्यालय ने सोयाबीन की नई किस्मों पर शोध शुरू कर लिया है, जिससे यह फसल जल्दी पक सके और गेहूं की बुवाई में देरी न हो. अगर यह शोध सफल रहा तो हिमाचल के किसान दो फसलें एक साथ उगाकर अपनी कमाई को कई गुना बढ़ा सकते हैं.

हिमाचल के कई इलाकों में किसान पहले से ही मक्की और सोयाबीन की मिश्रित खेती करते हैं. हालांकि, अभी तक इसकी पैदावार बहुत ज्यादा नहीं रही. इसी समस्या को हल करने के लिए पालमपुर विश्वविद्यालय नई किस्मों पर काम कर रहा है, जिससे सोयाबीन की पैदावार बेहतर हो सके. किसान इसे अपनाने के लिए प्रोत्साहित हों.

सोयाबीन की नई किस्में होंगी जल्दी तैयार
कई इलाकों में सोयाबीन की फसल बरसात के बाद देरी से पकती है, जिससे किसानों को गेहूं की बुवाई में भी देरी करनी पड़ती है. इसका सीधा असर गेहूं की पैदावार पर पड़ता है. इस समस्या को हल करने के लिए कृषि विवि ऐसी किस्मों पर काम कर रहा है जो जल्दी पकें, ताकि किसान बिना किसी देरी के गेहूं भी उगा सकें.

पहले भी कई किस्में विकसित कर चुका है विवि
पालमपुर कृषि विश्वविद्यालय पहले भी हरा सोयाबीन, पालम, हिम सोया और अर्ली सोयाबीन जैसी उन्नत किस्में विकसित कर चुका है. हरा सोयाबीन देश की पहली ऐसी किस्म है, जिसे सब्जी के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है. इसका स्वाद मटर जैसा होता है और इसमें आम सोयाबीन की तरह अजीब सी गंध नहीं आती. लोग इसे आसानी से अपनी डाइट में शामिल कर सकते हैं.

क्या बोले कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति?
कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति नवीन चौधरी का कहना है कि सोयाबीन की नई किस्मों पर शोध किसानों की आर्थिक स्थिति को मजबूत करने के लिए किया जा रहा है. इस शोध का मकसद ऐसी किस्में तैयार करना है जो जल्दी पकें और मक्की के साथ भी अच्छी पैदावार दें. हिमाचल की जलवायु के हिसाब से सोयाबीन को और बेहतर बनाने पर भी काम किया जा रहा है.

किसानों को होगा ज्यादा फायदा
अगर यह शोध सफल रहा तो हिमाचल के किसान एक ही समय में दो फसलें उगाकर अपनी कमाई को दोगुना कर सकते हैं. साथ ही, जल्दी पकने वाली किस्मों से गेहूं की बुवाई में भी देरी नहीं होगी और किसानों को हर फसल से ज्यादा उत्पादन मिलेगा.

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