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देवेंद्र हेटा, शिमला2 घंटे पहले
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हिमाचल के हिमालय में ग्लेशियर पिघलने के बाद डैम के जलाशय (रेजरवायर) भर गए है। इनका भरना हिमाचल के साथ-साथ पंजाब, हरियाणा और राजस्थान के लाखों किसानों के लिए अच्छी खबर है।
पंडोह डैम का वाटर लेवल 21 जून को 2936 फीट टच कर चुका है, जबकि इसका डेंजर लेवल 2941 फीट है। पंडोह का जलाशय इस साल 2020 की अपेक्षा 9 फीट अधिक, 2021 की तुलना में 10 फीट तथा 2022 की तुलना में 14 फीट ज्यादा भर गया है।

भाखड़ा बांध का जलाशय भी 21 जून को 1578 फीट तक भर गया है। इस साल का यह रिकार्ड वाटर लेवल है। इससे पहले साल 21 जून 2019 को इसका जलाशय 1605 फीट और जून 2015 में 1600 फीट तक भरा है। साल 2020 की तुलना में इस बार 9 फीट ज्यादा, 2021 की अपेक्षा 54 फीट तथा 2022 की तुलना में 13 फीट अधिक पानी भाखड़ा के जलाशय में भर चुका है। इसका डेंजर लेवल 1681 फीट है।

पौंग डैम में दो साल का रिकॉर्ड लेवल
पौंग डैम में भी वाटर लेवल पिछले दो साल में सर्वाधिक लेवल को छू चुका है। 21 जून 2023 को पौंग के जलाशय में डेंजर लेवल 1420 फीट की तुलना में 1330 फीट पानी भर गया है। इससे पहले 21 जून 2020 को 1335 फीट तक इसका वाटर लेवल सर्वाधिक रहा है। साल 2021 में 1288 फीट, 2022 में 1302 फीट पानी भरा था। साल 2021 की तुलना में इस बार 42 फीट अधिक और 2022 की तुलना में 28 फीट ज्यादा पानी जलाशय में भरा है।

कृषि के लिए नहीं होगी पानी की कमी
ठीक इसी तरह प्रदेश की अन्य प्रमुख नदियों पर बने डैम में भी जल स्तर बढ़ा है। हिमाचल के पड़ोसी राज्यों में इन दिनों धान की बीजाई चल रही है। ऐसे में पंजाब, हरियाणा और राजस्थान के किसानों को इसकी बीजाई के लिए पानी की कमी नहीं पड़ेगी। साथ ही हिमाचल और दिल्ली को भी पीने के लिए पर्याप्त पानी मिलेगा।

शत-प्रतिशत बिजली उत्पादन शुरू
नदी-नालों में वाटर लेवल बढ़ने से क्षमता का 100% बिजली उत्पादन भी शुरू हो गया है। पावर कंट्रोलर गगन 2021 और 2022 की अपेक्षा इस बार अप्रैल और मई में भी अच्छा बिजली उत्पादन हुआ है। जून में शत-प्रतिशत शुरू हो गया है।

अप्रैल के हैवी स्नो-फॉल से मिली संजीवनी
हिमाचल पर्यावरण विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (हिम-कॉस्ट) के स्टेट सेंटर ऑन क्लाइमेट चेंजिज के अनुसार प्रदेश में इस साल विंटर सीजन यानी दिसंबर से फरवरी के बीच नाममात्र बर्फ गिरी है।
राहत की बात यह है कि अप्रैल में हिमाचल में हैवी-स्नोफॉल हुआ। इससे ग्लेशियरों को अच्छी संजीवनी मिली है। इसी का नतीजा है कि इन दिनों नदियों में पर्याप्त पानी है।