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शिमलाएक घंटा पहले
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हिमाचल विधानसभा में आज नेशनल हाईवे-305 औट से लुहरी की बदहाली, भांग की खेती, लो-वॉल्टेज की समस्या का मामला गूंजेगा। बाह्य सराज को कुल्लू जिला मुख्यालय से जोड़ने वाले NH-305 की बदहाली को लेकर BJP विधायक सुरेंद्र शौरी ने सदन में ध्यानाकर्षण प्रस्ताव लाकर चर्चा की मांग की है।
दरअसल, जुलाई महीने में भारी बारिश के कारण सड़क को भारी नुकसान पहुंचा है। इससे पर्यटन कारोबार भी बुरी तरह प्रभावित हुआ है। सड़क की खस्ता हालत के कारण क्षेत्रवासी परेशान हैं। सदन में विधायक द्वारा मांगी गई इस चर्चा का लोक निर्माण मंत्री जवाब देंगे।

भांग की खेती को लेकर सदन में रिपोर्ट रखेंगे मंत्री जगत
वहीं राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी इसे लेकर विस्तृत रिपोर्ट सदन में प्रस्तुत करेंगे। इसके जरिए जगत नेगी सदन को बताएंगे कि किन प्रदेशों में भांग की खेती वैध कर दी गई है।
हिमाचल में किस तरह भांग का इस्तेमाल इंडस्ट्रियल और मेडिसिन के लिए किया जा सकता है। प्रदेश में भांग की खेती को लीगल करने के पीछे की मंशा न केवल राजस्व में इजाफा करना है बल्कि लोगों को स्वरोजगार देना भी है।
प्रदेश के चंबा, मंडी, कुल्लू और शिमला जिले में भांग की खेती होती है। मगर अभी यह अवैध है।बजट सत्र में विधायकों के आग्रह पर मुख्यमंत्री सुक्खू ने राजस्व मंत्री जगत नेगी की अध्यक्षता में एक कमेटी गठित की है जो उत्तराखंड और मध्य प्रदेश का दौरा कर चुकी है। इन दोनों प्रदेशों में भांग की खेती पहले ही वैध की जा चुकी है। अब चार अन्य देशों के दौरे की तैयारी है, जहां पर भांग से विभिन्न उत्पाद बनाए जा रहे हैं।

सदन में रिपोर्ट पेश करेगी कमेटी
मुख्यमंत्री ने कहा कि राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी अपनी रिपोर्ट सदन में रखेंगे। इस पर चर्चा की जाएगी। इस पर चर्चा के बाद भांग की खेती को वैध करने पर विचार किया जाएगा।
भांग में पाए जाते औषधीय गुण
भांग में कई औषधीय गुण पाए जाते हैं। इसके इस्तेमाल से कैंसर, मधुमेह, उच्च रक्तचाप, अवसाद आदि से ग्रसित मरीजों को काफी राहत मिलती है। कई देशों में भांग की खेती को कानूनी मान्यता दी गई हैं। देश के कई राज्यों में भांग की खेती को कानूनी दायरे में रखा गया है।
उत्तराखंड वर्ष 2017 में भांग की खेती को वैध करने वाला देश का पहला राज्य बना। गुजरात, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के कुछ जिलों में भी भांग की नियंत्रित खेती की जा रही है।
क्या कहता है कानून
संसद में वर्ष 1985 में NDPS एक्ट के तहत भांग को परिभाषित किया था, जिसके तहत भांग के पौधे से राल और फूल निकालने पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया गया है। राज्यों को सामान्य या विशेष आदेश द्वारा, केवल फाइबर या बीज प्राप्त करने या बागवानी उद्देश्यों के लिए भांग की खेती की अनुमति देने का अधिकार है। इससे पहले सदन की कार्यवाही प्रश्नकाल से शुरू होगी।