शिमला15 मिनट पहले
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देश के बाजारों में हिमाचल प्रदेश का स्टोन-फ्रूट बुरी तरह पिट रहा है, क्योंकि बड़े व्यापारियों ने शकरपाला, प्लम और चेरी को थोक में इंपोर्ट किया है। इससे प्रदेश के बागवानों को मेहनताना तो दूर किराया और लागत मूल्य भी नहीं मिल पा रहा। सूबे के बागवान सेब की तर्ज पर स्टोन फ्रूट के आयात के लिए मिनिमम प्राइस फिक्स करने और इनकी स्टोरेज के लिए हाइड्रो कूलिंग सिस्टम डेवलप करने की मांग करने लगे हैं।
रेट धड़ाम होने के बाद खासकर दिल्ली मंडी के आढ़ती शकरपाला को मंडी में नहीं भेजने की सलाह दे रहे हैं। शकरपाला अफगानिस्तान से थोक में इंपोर्ट किया जा रहा है। यहां से सॉफ्ता एग्रीमेंट के तहत बिना इंपोर्ट-ड्यूटी से शकरपाला देश के बाजारों में लाया रहा है। इस वजह से दिल्ली में शकरपाला का प्रति बॉक्स 40 से 50 रुपए के बीच बिक पा रहा है, जबकि इससे ज्यादा इसे मंडी तक पहुंचाने और तैयार करने पर लागत आती है।

चेरी के रेट 2000 से 200 तक गिरे
यही हाल चेरी का भी है। सीजन के शुरू में हिमाचल की चैरी 1500 से 2000 रुपए प्रति बॉक्स बिकी। बीते एक सप्ताह के दौरान इसके रेट गिरकर 200 से 250 रुपए प्रति पेटी रह गए हैं। व्यापारी चैरी को ईरान से इंपोर्ट कर रहे हैं। प्लम के रेट भी 15 से 20 दिन पहले 150 से 150 रुपए प्रति बॉक्स थे। ये भी अब गिरकर 60 से 100 रुपए रह गए। इससे स्टोन-फ्रूट की पैदावार करने वाले बागवानों की चिंताएं बढ़ गई हैं।
मिनिमम इंपोर्ट प्राइस फिक्स करने की मांग
हिमाचल के स्टोन फ्रूट उत्पादक केंद्र और राज्य सरकार से सेब की तर्ज पर इंपोर्ट के लिए न्यूनतम मूल्य तय करने की मांग कर रहे है। प्लम ग्रोवर एसोसिएशन के अध्यक्ष दीपक सिंघा ने बताया कि दिल्ली के आढ़ती अब शकरपाला को मंडी में नहीं भेजने को कह रहे है। रेट गिरने से फसल नहीं बिक पा रही है। चैरी के रेट में भी भारी गिरावट से बागवान परेशान हैं।
उन्होंने केंद्र व राज्य सरकार से सेब की तर्ज पर स्टोर फ्रूट के मिनिमम प्राइस फिक्स करने का आग्रह किया है। इससे प्रदेश व देश में स्टोन फ्रूट की पैदावार कर रहे बागवानों को उनकी उपज का सही मूल्य मिल पाएगा।

स्टोन फ्रूट के लिए हाइड्रो कूलिंग सिस्टम की मांग
दीपक सिंघा ने सेब के लिए CA स्टोर की तर्ज पर स्टोन फ्रूट के लिए भी हाइड्रो कूलिंग सिस्टम तैयार करने की मांग की है। इससे बागवान बाजार भाव गिरने की सूरत में अपनी फसल को स्टोर कर पाएंगे और उन्हें अच्छे दाम सुनिश्चित हो सकेंगे।

अफगानिस्तान से इंपोर्ट किया गया शकरपाला
कम फसल के कारण अच्छे रेट की थी उम्मीद
प्रदेश में इस बार सभी स्टोन फ्रूट की फसल बीते साल की अपेक्षा आधी है, क्योंकि फरवरी-मार्च में मौसम अनुकूल नहीं रहा। कम फसल के कारण बागवानों को इस बार अच्छे रेट की उम्मीद थी, लेकिन इसका उल्टा हुआ।