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देवेंद्र हेटा, शिमला8 घंटे पहले
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भारत की पवित्र एवं पावन मणिमहेश यात्रा के दौरान डल झील में डुबकी लगाते हुए श्रद्धालु
उत्तर भारत की पवित्र एवं पावन मणिमहेश यात्रा पर भी आपदा का असर साफ नजर आ रहा है। बीते सालों की तुलना में इस बार 50 प्रतिशत तक कम श्रद्धालु ही मणिमहेश पहुंच रहे हैं। हालांकि अब सड़कें खोल दी गई हैं, मगर लोगों में अभी भी सदी की भीषण तबाही का खौफ नजर आ रहा है।
भरमौर SDM एवं मणिमहेश न्यास के सचिव कुलवीर सिंह राणा ने बताया कि इस बार श्रद्धालुओं का फ्लो कम हैं। मगर हर रोज इजाफा हो रहा है। आधिकारिक तौर पर यात्रा शुरू होने के बाद से अब करीब 26 हजार श्रद्धालु यहां पहुंच गए हैं। इस यात्रा के लिए देशभर के 30 हजार श्रद्धालु पंजीकरण करवा चुके हैं।
हर रोज पांच से छह हजार श्रद्धालु इस यात्रा के लिए डल झील पहुंच रहे हैं।

पवित्र डल झील में डुबकी लगाने पहुंचे श्रद्धालु
शुभ मुहूर्त के बीच 20 हजार ने लगाई डुबकी
SDM ने बताया कि 6 सितंबर दोपहर बाद 3:38 बजे से 7 सितंबर शाम 4:15 बजे के बीच शुभ मुहूर्त में 20 हजार श्रद्धालुओं ने डल झील में आस्था की डुबकी लगाई। बीते सालों के दौरान इनकी संख्या लगभग दोगुनी होती थी। यात्रा के लिए इस बार बीते डेढ़ सप्ताह से मौसम अनुकूल बना हुआ है। हालांकि आज सुबह भरमौर क्षेत्र में हल्की बारिश हुई है।
पंजीकरण करवाने के बाद यात्रा पर आएं: SDM
SDM ने श्रद्धालुओं से अपील की है कि वह इस धार्मिक यात्रा पर पंजीकरण करवाने के बाद ही आएं और प्रशासन द्वारा दी गई एडवाइजरी का पालन जरूर करें।

उत्तर भारत की पवित्र एवं पावन मणिमहेश यात्रा पर पहुंचे श्रद्धालु
मणिमहेश यात्रा के लिए इन निर्देशों का करें पालन
- श्रद्धालुओं को चिकित्सा प्रमाण पत्र साथ लाने को कहा गया है। आधार शिविर हड़सर में स्वास्थ्य जांच करवाएं, चढाई धीरे-धीरे चढ़ें, सांस फूलने पर वहीं रुक जाएं
- छाता, बरसाती, गर्म कपडे, गर्म जूते, टॉर्च और डंडा साथ रखें
- प्रशासन की ओर से निर्धारित रास्तों पर चलें
- स्वास्थ्य संबंधी समस्या पर निकटतम शिविर में संपर्क करें
- दुर्लभ जड़ी-बूटियों एवं पौधों के संरक्षण में सहयोग करें
- यात्री अपना पहचान पत्र/आधार कार्ड साथ रखें
- सुबह 4:00 बजे से पहले और शाम 5 बजे के बाद हड़सर से यात्रा न करें
- नशीले पदार्थों व मांस मदिरा का सेवन न करें
- छह सप्ताह से ज्यादा गर्भवती महिलाएं यात्रा न करें
- मौसम खराब होने पर हड़सर व डल झील के बीच धन्छो, सुंदरासी, गौरीकुंड एवं डल झील पर सुरक्षित जगह पर रुके
HRTC ने चलाई अतिरिक्त बसें
इस यात्रा को सरल व सुगम बनाने के लिए परिवहन निगम ने अतिरिक्त बसों की व्यवस्था की है, ताकि श्रद्धालुओं को यात्रा पूरी करने में कोई परेशानी न हो। डिमांड के हिसाब से अतिरिक्त बसें चलाई जाएगी।

मणिमहेश की डल झील के किनारे पर आस्था की डुबकी लगाते हुए श्रद्धालु
घोड़े और हेली टैक्सी से भी पूरी कर सकते हैं यात्रा
भरमौर से यात्री घोड़े और हेली टैक्सी से भी मणिमहेश की यात्रा पूरी कर सकेंगे। घोड़े पर हड़सर से मणिमहेश के लिए लगभग 4400 रुपए चुकाना होगा, जबकि हेली टैक्सी से जाने के लिए 9000 रुपए किराया देना होगा। पैदल भी श्रद्धालु इस यात्रा को पूरा कर सकते हैं।
मुख्य सचिव भी मणिमहेश यात्रा में पहुंचे
हिमाचल के मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना भी धर्मपत्नी सहित डल झील में डुबकी लगाने मणिमहेश पहुंचे हैं। CS से पहले प्रिंसिपल सेक्रेटरी रेवेन्यू डॉ. ओंकार शर्मा भी डल झील में शुभ मुहूर्त पर डुबकी लगा चुके हैं।
बड़ा स्नान 22 से सितंबर के बीच
7 से 23 सितंबर चलने वाली यात्रा के लिए इस बार सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए है। चंबा जिला प्रशासन ने इसके लिए 1050 पुलिस जवान जगह जगह तैनात किए है। यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं की स्वास्थ्य जांच के लिए कई जगह कैंप लगाए गए। राधाष्टमी का बड़ा स्नान 22 सितंबर को दोपहर बाद 1:36 बजे शुरू होगा और 23 सितंबर दोपहर 12:18 बजे तक चलेगा।

मणिमहेश की डल झील आस्था की डुबकी लगाने पहुंचे श्रद्धालु
भरमौर से 21 किलोमीटर
मणिमहेश झील हिमाचल में प्रमुख तीर्थ स्थान में से एक बुद्धिल घाटी में भरमौर से 21 किलोमीटर दूर स्थित है। झील कैलाश पीक (18,564 फीट) के नीचे 13,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। हर साल, भाद्रपद के महीने में हल्के अर्द्धचंद्र आधे के आठवें दिन, इस झील पर एक मेला आयोजित किया जाता है, जो कि हजारों तीर्थयात्रियों को आकर्षित करता है, जो पवित्र जल में डुबकी लेने के लिए इकट्ठा होते हैं।
भगवान शिव इस मेले के अधिष्ठाता देवता हैं। माना जाता है कि वह कैलाश में रहते हैं। कैलाश पर एक शिवलिंग के रूप में एक चट्टान के गठन को भगवान शिव की अभिव्यक्ति माना जाता है।स्थानीय लोगों द्वारा पर्वत के आधार पर बर्फ के मैदान को शिव का चौगान कहा जाता है।

चंबा में मणिमहेश की डल झील का नजारा