हिमाचल में पांच लाख स्कूली बच्चों के भोजन पर संकट: केंद्र ने पांच महीने से नहीं दिया बजट; दुकानदारों ने उधारी देना किया बंद
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हिमाचल में पांच लाख स्कूली बच्चों के भोजन पर संकट: केंद्र ने पांच महीने से नहीं दिया बजट; दुकानदारों ने उधारी देना किया बंद


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शिमलाएक घंटा पहले

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हिमाचल प्रदेश के सरकारी स्कूलों में दोपहर बाद के भोजन की मिड डे मील (MDM) योजन पर संकट मंडरा रहा है। केंद्र सरकार ने लगभग पांच महीने से​​​​​​ MDM योजना के लिए बजट नहीं दिया। राज्य में इससे लगभग हजारों स्कूली बच्चों के भोजन का इंतजाम करना मुश्किल हो गया है।

राज्य का एलीमेंटरी एजुकेशन डिपार्टमेंट बार-बार केंद्र से पेमेंट के भुगतान के लिए पत्राचार कर रहा है। बावजूद इसके हिमाचल को बजट नहीं मिल पाया। अधिकांश स्कूलों में टीचर भी अब हाथ खड़े करने लगे हैं, क्योंकि इन्हें भी दुकानदारों ने उधारी में राशन व सब्जियां देना बंद कर दिया है।

खासकर उन स्कूलों में जहां बच्चों की संख्या ज्यादा है, वहां इस योजना को चलाना चुनौतीपूर्ण हो गया है। राशन के साथ साथ LPG सिलेंडर का जुगाड़ करना भी चुनौतीपूर्ण हो गया है। ज्यादातर स्कूलों में शिक्षक अपनी जेब से पैसे खर्च करके MDM योजना के भोजन का इंतजाम कर रहे हैं।

केंद्र ने बजट नहीं दिया तो स्टेट फंड का करेंगे प्रावधान: कंवर

प्रदेश के शिक्षा सचिव राकेश कंवर ने बताया कि उम्मीद है कि केंद्र से मिड डे मील योजना का बजट जल्द मिल जाएगा। केंद्र से बजट नहीं मिलने की सूरत में राज्य सरकार अपने कोष से इस योजना के लिए बजट का इंतजाम करेगी, ताकि बच्चों की भोजन की व्यवस्था को कंटीन्यू रखा जा सके।

5 लाख बच्चे MDM के तहत करते हैं भोजन

MDM के तहत पहली से आठवीं कक्षा तक के बच्चों को दोपहर बाद का भोजन दिया जाता है। राज्य के लगभग 6000 प्राइमरी और मिडल स्कूलों में करीब पांच लाख बच्चे इस योजना के तहत रोजाना भोजन करते हैं। इसके लिए केंद्र व राज्य सरकार 90:10 के अनुपात में बजट देती है। 90 फीसदी बजट केंद्र और 10 प्रतिशत बजट राज्य सरकार देती है।

इसलिए बजट मिलने में देरी: नरेश

MDM योजना के नोडल अधिकारी नरेश शर्मा ने बताया कि योजना के तहत केंद्र सरकार बजट वितरण प्रणाली बदल रही है। इस वजह से देरी हुई है। उम्मीद है कि एक दो दिन में हिमाचल को केंद्र से MDM का बजट मिल जाए।

MDM वर्करों को नहीं मिला मानदेय

हिमाचल में इस योजना के तहत स्कूलों में भोजन तैयार करने वाले MDM वर्करों को भी अप्रैल महीने के बाद से मानदेय नहीं दिया गया। इससे MDM वर्करों के लिए परिवार का पालन-पोषण भी मुश्किल हो गया है।

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