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शिमला3 घंटे पहले
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हिमाचल की सुखविंदर सुक्खू सरकार ने अपने पहले बजट सत्र में 2 विधेयक पारित कर राज्यपाल की मंजूरी को भेजे थे। मगर, इन्हें राज्यपाल ने रोक दिया है। इससे दोनों विधेयक कानून नहीं बन पाए। बजट सत्र में मुख्यमंत्री सुखाश्रय विधेयक 2023 और लोकतंत्र प्रहरी सम्मान विधेयक को ध्वनिमत से पारित किया गया था। इसके बाद इन्हें ही राज्यपाल को भेजा गया।
राज्यपाल ने मुख्यमंत्री सुखाश्रय योजना से जुड़े विधेयक को परीक्षण के लिए राज्य सरकार को वापस भेजा है। 2 रोज पहले ही सचिवालय में सोशल जस्टिस एंड एम्पावरमेंट डिपार्टमेंट अधिकारियों ने राज्यपाल की आपत्ति पर चर्चा की है। अब इसे लॉ डिपार्टमेंट की राय को भेजा गया है।

BJP ने सदन से किया था वॉकआउट
विधि विभाग की राय के बाद मुख्यमंत्री से भी इस पर चर्चा कर दोबारा राज्यपाल को भेजा जाएगा, ताकि बेसहारा व जरूरतमंद बच्चों की मुख्यमंत्री सुखाश्रय योजना को कानूनी रूप दिया जा सके। इस विधेयक के कानूनन बनते ही अनाथ बच्चों को चिल्ड्रन ऑफ द स्टेट का दर्जा मिल जाएगा और इनकी पढ़ाई-लिखाई व पालन-पोषण का खर्च सरकार उठोगी।
विधानसभा में इस बिल पर चर्चा के दौरान BJP विधायकों ने सदन में वॉकआउट किया था।

लोकतंत्र प्रहरी योजना बंद करने पर भड़की BJP
इसी तरह लोकतंत्र प्रहरी योजना बंद करने से जुड़े विधेयक पर चर्चा के बाद भी भाजपा ने सदन से नारेबाजी करते हुए बाहर चली गई थी और सुक्खू सरकार पर इमरजेंसी के दौरान जेलों में बंद लोगों का अपमान करने का आरोप लगाया था। तब मुख्यमंत्री सुक्खू ने कहा कि जब शांता कुमार और प्रेम कुमार धूमल मुख्यमंत्री थे, तो BJP को लोकतंत्र प्रहरी याद क्यों नहीं आएं।
जिन्हें लोकतंत्र प्रहरी कहा जा रहा है, वह एक नहीं बल्कि तीन-तीन पेंशन का लाभ ले रहे है। इस योजना के तहत 12 से 20 हजार रुपए की पेंशन दी जा रही थी। पॉलिटिकल और करोड़पति लोगों को लाभ देने के लिए यह योजना शुरू की गई थी। इस पर अब राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने सुक्खू सरकार को कुछ बिंदुओं पर स्थिति स्पष्ट करने को बोला है।