शिमला21 घंटे पहले
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प्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा है कि प्रदेश में सालाना कितना प्लास्टिक आता है और कितने का निस्तारण किया जाता है और कितने प्लास्टिक को रिसाइकिल के लिए भेजा जाता है। न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायाधीश सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने जनहित याचिका की सुनवाई के पश्चात यह आदेश पारित किए।
मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट को बताया गया कि प्रदेश भर में कूड़े कचरे का निस्तारण पर्यावरण मानकों के तहत नहीं हो रहा है। प्लास्टिक कचरे के निस्तारण के लिए सरकार ने कोई कारगर कदम नहीं उठाए हैं। प्लास्टिक की बोतलें और रेपर इत्यादि सार्वजनिक स्थानों में धड़ल्ले से फेंके जाते हैं।
ठोस अपशिष्ट प्रबंधन और इसके कार्यान्वयन पर अदालत को बताया गया कि हिमाचल 59 शहरी समूह के साथ भारत का सबसे अच्छा शहरीकृत राज्य है। लेकिन, कचरे की थोड़ी मात्रा भी गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं पैदा कर सकती है। बद्दी में 970 करोड़ रुपए की लागत से बनने वाले ठोस अपशिष्ट प्रबंधन को स्थापित करने के लिए कोई कदम नहीं उठाए गए है। धर्मशाला में कचरे को अनुपचारित तरीके से निष्पादन किया जा रहा है। सोलन में भी कचरे से निपटने के लिए प्रावधान नहीं है।