सोनीपत4 घंटे पहले
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सोनीपत के फिटनेस ट्रेनर अंकित बैंयापुरिया के साथ स्वच्छता के श्रमदान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी साथ दिखे।
स्वच्छता के श्रमदान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रविवार को फिटनेस ट्रेनर अंकित बैंयापुरिया के साथ दिखे। अंकित हरियाणा के सोनीपत के रहने वाले हैं। 75 डेज चैलेंज से चर्चा में आए अंकित ने मिट्टी में ट्रेडिशनल कुश्ती लड़ी। जरूरत पड़ने पर हलवाई के यहां नौकरी और डिलीवरी ब्वाय का काम तक किया। जब चोट लगने से मन टूटा तो श्रीमद भगवत गीता के सहारे खुद को मजबूत किया। अचानक PM मोदी के साथ नजर आए अंकित ने सबको चौंका दिया। आइए पढ़ते हैं उनकी पूरी कहानी…
13 साल पहले रेसलिंग शुरू की, खलीफा पहलवान से प्रेरणा मिली
अंकित सोनीपत के बैंयापुर के रहने वाले हैं। उनका कहना है कि बैंयापुर उनका सरनेम नहीं बल्कि गांव का नाम है। पहले ट्रेडिशनल रेसलिंग होती थी तो उनके नाम के साथ बैंयापुरिया जुड़ गया। 13 साल पहले उन्होंने रेसलिंग शुरू की थी।
गांव के पहलवान कृष्ण से प्रेरणा लेकर उसने कुश्ती की शुरुआत की थी। कृष्ण पहलवान खलीफा के तौर पर जाने जाते थे। तब ज्यादातर कुश्ती मैट पर नहीं बल्कि मिट्टी के अखाड़े में की है। फिटनेस रखने के लिए वह कुश्ती लड़ने के लिए खाने-पीने की वस्तुओं का ज्यादा ध्यान रखना पड़ रहा है।

अंकित कुश्ती और फिटनेस के लिए अपनी डाइट पर पूरा ध्यान देते हैं। पहले परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक न होने के चलते उनकी डाइट ठीक नहीं थी। जैसे-जैसे परिवार के हालात बदले, उन्होंने खुद की डाइट को भी चेंज किया।
दूध-दही से बनाया शरीर
अंकित के परिवार के आर्थिक हालात ठीक नहीं थे। इसलिए डाइट बहुत अच्छी नहीं थी। उन्होंने गांव के दूध-दही से ही शरीर बनाया। जिसके बाद पहलवानी शुरू की। अंकित खुद कहते हैं कि उनका परिवार बेहद साधारण है। 13 साल और आज के हालात में ज्यादा अंतर नहीं है। हालांकि जब पहलवानी से आर्थिक हालत सुधरी तो जरूर डाइट में कुछ सुधार हुआ।
माता-पिता ने दिन-रात मेहनत की
अंकित बताते हैं कि उनके माता-पिता पढ़े-लिखे नहीं हैं। मगर, उन्हें पढ़ाने के लिए दिन-रात मेहनत की। गांव के स्कूल में ही उन्होंने शुरुआती शिक्षा ली। उनके माता-पिता का सपना था कि उनके बच्चे कम से कम बीए तक की शिक्षा जरूर लें।

अंकित सोशल मीडिया पर 75 हार्ड डेज चैलेंज से चर्चा में आए थे। वही अपनी फिटनेस का पूरा ध्यान रखते हैं।
2022 में चोट के बाद गीता से सहारा मिला
अंकित बताते हैं कि 2022 में गांव के दंगल में पहलवान करते समय ज्यादा इंजरी हो गई। इसके बाद मन टूटने लगा। हालत बेहद खराब हो चुकी थी। इससे उबरने का सबसे ज्यादा क्रेडिट वह श्रीमद भागवत गीता को देते हैं। 75 डेज चैलेंज कोई फिजिकल नहीं बल्कि मेंटल टफनेस चैलेंज है। गीता मनुष्य को जीवन जीना सिखाती है।
13 साल से फिटनेस की सीख दे रहे
अंकित बैंयापुरिया बताते हैं कि लास्ट इंजरी के बाद उनकी हालत बेहद बिगड़ गई। सोशल मीडिया के जरिए 75 हार्ड डेज के बारे में पता चला। उन्होंने उसी दिन इसकी शुरुआत कर दी और इसके अच्छे रिजल्ट मिलने लगे। जिसके बाद उन्होंने दूसरों को बताने की सोची और वीडियो बनाने शुरू कर दिए। जिन्हें सोशल मीडिया पर पोस्ट करने लगे।

अंकित को बचपन से ही फिटनेस का शौक है। लास्ट इंजरी के बाद उनकी हालत बिगड़ गई थी। इसके बाद दोबारा उन्होंने खुद की सेहत पर ध्यान रखना शुरू किया।
पिता बोले- मेहनती बेटा, हर तरह की नौकरी की
अंकित के पिता ने कहा कि वह बचपन से ही मेहनती है। वह पढ़ाई के साथ घरेलू काम भी करता था। पढ़ाई में कभी फेल नहीं हुआ। कभी हलवाई के यहां लेबर की नौकरी की तो कभी जिम में जॉब की। जरूरत पड़ने पर डिलीवरी ब्वाय का भी काम किया। फिर निजी कंपनी में नौकरी की।
अंकित के पिता ने कहा कि मैंने खुद ईंट-भट्ठे पर काम कर परिवार को पाला। जब अंकित बड़ा हुआ और कामयाब होने लगा तो फिर काम छोड़ दिया। बच्चों की पढ़ाई पर ध्यान देने लगे। अंकित हमेशा सही खाने-पीने में ज्यादा दिलचस्पी रखता है।
गांव में एक प्लाट में कीकर के पेड़ पर रस्सी बांधकर वह मेहनत करता है। इसका असर यह हुआ कि गांव के युवा भी अंकित को देख मेहनत करने लगे हैं।