श्रीरामजन्मभूमि मंदिर में अलौकिक ऊर्जा का स्पंदन: अध्यात्मिक गुरु अनीश बोले-कनक भवन में रामजी और सीता की मौजूदगी का साक्षात अनुभव
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श्रीरामजन्मभूमि मंदिर में अलौकिक ऊर्जा का स्पंदन: अध्यात्मिक गुरु अनीश बोले-कनक भवन में रामजी और सीता की मौजूदगी का साक्षात अनुभव


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अयोध्या4 घंटे पहले

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आध्यात्मिक गुरु एवं हिमालय स्थित साधो संघ फाउंडेशन के संस्थापक स्वामी अनीश का श्रीरामवल्लभाकुंज में स्वागत करते आश्रम प्रमुख स्वामी राजकुमार दास।

आध्यात्मिक गुरु एवं हिमालय स्थित साधो संघ फाउंडेशन के संस्थापक स्वामी अनीश एक दिवसीय यात्रा के लिये राम जन्म भूमि अयोध्या आए। उन्होंने अपना अनुभव बताते हुए कहा कि श्रीरामजन्मभूमि मंदिर में अलौकिक ऊर्जा का स्पंदन महसूस हुआ। कनक भवन में राम जी और सीता जी की मौजूदगी का तो साक्षात अनुभव होता है।

स्वामी राजकुमार दास और आचार्य सत्येंद्र दास से मिले

रामलला के दर्शन के बाद स्वामी अनीश ने मंदिर के निर्माण स्थल पर प्रार्थना की। निर्माण कार्य में लगे अधिकारियों और साधु – संतों से भी उनकी भेंट हुई।श्रीरामवल्लभाकुंज के प्रमुख स्वामी राजकुमार दास से वे उनके आश्रम पर मिले और धार्मिक चर्चा हुई। इसके बाद वे रामलला के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास से उनके आश्रम पर मिले और भावपूर्ण मिलन हुआ। आचार्य ने उन्हें रामलला का प्रसाद देकर अध्यात्म की राह मजूबत होने का आशीर्वाद दिया।

साधो संघ फाउंडेशन के संस्थापक स्वामी अनीश को रामलला का प्रसाद देते मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास।

साधो संघ फाउंडेशन के संस्थापक स्वामी अनीश को रामलला का प्रसाद देते मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास।

इसके बाद लेखक, कॉर्पोरेट प्रशिक्षक स्वामी अनीश ने कहा कि कि वे काफी समय से अयोध्या जाने की प्रतीक्षा में थे। और यह एकदम सही समय था राम जी का आशीर्वाद लेने और मंदिर निर्माण में अपना उर्जात्मक योगदान देने का ।मानव जीवन में गुरु की भूमिका समझाते हुए वे कि गुरु फोन के चार्जर की तरह है जो साधक को ऊर्जा के परम स्त्रोत परमात्मा से जोड़ता है।

भारतीय संस्कृति ने हमेशा जीवित गुरु – शिष्य परंपरा पर जोर दिया-स्वामी अनीश

उन्होंने कहा कि आज कल अधिकतर लोग यूट्यूब या किसी पुस्तक को ही अपना गुरु मान लेते हैं।जबकि भारतीय संस्कृति ने हमेशा जीवित गुरु-शिष्य परंपरा पर जोर दिया है। गुरु-शिष्य के बीच घटित होने वाली गहन आत्मीयता से ही साधक की आध्यात्मिक उन्नति संभव है,अन्यथा नहीं। और उन्होंने बहुत ही भावपूर्ण तरीके से अनुयायी, भक्त व् शिष्य में क्या अंतर हैं इस ज्ञान को भी साँझा किया |

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