शिमला2 घंटे पहले
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ठियोग में बिजली बोर्ड दफ्तर के समीप NH-5 बंद
इंडो-तिब्बत बॉर्डर को जोड़ने वाला सामरिक दृष्टि से नेशनल हाईवे-5 ठियोग के पास वाहनों की आवाजाही के लिए पूरी तरह ठप्प हो गया। बिजली बोर्ड दफ्तर के समीप सड़क का लगभग 12 मीटर हिस्सा धंस गया है। इससे किन्नौर जिले सहित अप्पर शिमला का राजधानी से संपर्क कट गया है।
कुछ लोग वैकल्पिक मार्गों से होते हुए अपने गंतव्य तक पहुंच रहे है। इसके लिए लोगों को कई किलोमीटर अतिरिक्त सफर और लंबे ट्रैफिक जाम से जूझना पड़ रहा है। NH बंद होने से शिमला के कोटखाई, सैंज, चौपाल, नेरवा, रामपुर, किन्नौर, कुमारसैन, नारकंडा, मत्याना इत्यादि क्षेत्रों के लोग परेशान हो रहे हैं।
कई दिन तक NH बहाल होने की उम्मीद नहीं
चिंता इस बात की है कि NH अगले कई दिनों तक बहाल होने की न के बराबर संभावनाएं है, क्योंकि सड़क के ऊपर वाले हिस्से में कटिंग की गई तो ऊपर की पहाड़ी पर बने मकान को खतरा हो सकता है। SDM ठियोग ने एहतियातन वाहनों की आवाजाही के सड़क बंद करने लेकर नोटिफिकेशन जारी कर दी गई है।

ठियोग में सड़क धंसने से क्षतिग्रस्त नेशनल हाइवे-5
इन वैकल्पिक मार्गों से चलाए जा रहे वाहन
NH बंद होने के बाद सैकड़ों छोटे वाहन नंगलदेवी-कनोग-धमांदरी-सैंज होते हुए कोटखाई, रोहड़ू, चौपाल इत्यादि क्षेत्रों को भेजे जा रहे हैं। इसी तरह बड़ी संख्या में वाहन नंगलदेवी-शड़याना-टनकोटी-प्रेमघाट होते हुए ठियोग, मत्याना, नारकंडा और रामपुर की ओर गए।
वहीं बड़े वाहन खासकर बसें फागू से धमांदरी सैंज होते हुए चलाई जा रही है। सड़क के बंद होने से दर्जन बस रूट पूरी तरह ठप्प हो गए। इससे हजारों लोग परेशान है। स्कूली बच्चे और कामकाजी लोग समय पर दफ्तर व स्कूल नहीं पहुंच पा रहे। इसी तरह नारकंडा, मतियाना से शिमला आने जाने के लिए लोग नरेल, क्यारटू-बलदेयां-ढली-सड़क का इस्तेमाल करके लोग अपने गंतव्य तक पहुंच रहे हैं।
रहीघाट-सिविल अस्पताल सड़क करें बहाल-गांगटा
कोटखाई निवासी सन्नी गांगटा ने स्थानीय प्रशासन से गुहार लगाई की छोटे वाहनों को रहीघाट-ठियोग के सिविल अस्पताल होते हुए भेजा जाए। इस सड़क को वन-वे करके लोगों को राहत दी जा सकती है।
25 दिन पहले भी यहीं धंसी थी सड़क
ठियोग में 25 दिन पहले भी यही सड़क धंसने से कुछ दिन के लिए यातायात बाधित रहा था, लेकिन अब यहां लगभग 24 मीटर हिस्से में डंगा लगकर तैयार हो गया है। इस बीच साथ लगती सड़क का 12 मीटर हिस्सा और धंस गया। अब यहां भी लगभग 18 मीटर ऊंचा डंगा लगने है। डंगा लगने तक सड़क खुलने की संभावनाएं नहीं है।
बाइपास बहाल नहीं होने से प्रशासन लाचार
ठियोग में 6 साल से बाइपास निर्माणाधीन है। दो किलोमीटर से भी कम लंबे बाइपास का काम पहले कछुआ गति से किया गया। अब लगभग 50 मीटर सड़क का हिस्सा पिछले साल बरसात में टूटने के बाद से क्षतिग्रस्त है। इसे बनाने में प्रशासन लाचार है, क्योंकि पहले जयराम सरकार और सुक्खू सरकार इसके लिए बजट नहीं दे रही। ऐसे में यदि लगभग 50 मीटर सड़क का टूटा हुआ हिस्सा बन गया होता तो आज बाइपास को वैकल्पिक सड़क के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है।