पंजाब-हिमाचल बॉर्डर पर बसे गांवों में घरों को नुकसान: पथरीले रास्तों पर पैदल चलकर पहुंचे सामाजिक संगठन; राहत सामग्री पहुंचाई
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पंजाब-हिमाचल बॉर्डर पर बसे गांवों में घरों को नुकसान: पथरीले रास्तों पर पैदल चलकर पहुंचे सामाजिक संगठन; राहत सामग्री पहुंचाई


खरड़2 घंटे पहले

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सामाजिक संगठन के कार्यकर्ता पथरीले रास्तों पर होते हुए गांवों तक पहुंचे।

पहाड़ों पर हुई बारिश ने हिमाचल और पंजाब में कहर बनकर आया है। बाढ़ पीड़ितों की मदद के लिए सामाजिक संगठन लगे हुए हैं। यूनाइटेड सिख सर्विस ऑफ ह्यूमैनिटी और पंजाब मोर्चा संगठन के कार्यकर्ता मानवता की सेवा के प्रति अपना कर्तव्य समझते हुए पथरीले रास्तों से 3 किलोमीटर पैदल चलकर रूपनगर जिले की सीमा से सटे हिमाचल प्रदेश की पहाड़ियों में स्थित 5 गांवों में पहुंचे।

वहां 30 पीड़ित परिवारों तक उन्होंने राहत सामग्री पहुंचाई। उक्त संगठनों के प्रतिनिधि सबसे पहले बुगां साहिब से करीब 15 किलोमीटर की दूरी पर पहाड़ियों में स्थित गांव पनेली पहुंचे। सिर पर राहत सामग्री लेकर बेहद पथरीले रास्ते को पार कर 2 घंटे बाद उक्त गांव पहुंचे सामाजिक कार्यकर्ताओं ने देखा कि भारी बारिश के कारण 5 परिवारों का घर पूरी तरह ध्वस्त हो गया है।

प्रभावित परिवार अब पहाड़ों में खुले आसमान के नीचे टेंट में रह रहे हैं। उक्त पीड़ित परिवारों में शामिल सीता राम, जगत राम, कश्मीरी लाल, योगराज और संजीव कुमार ने बताया कि हिमाचल के अधिकारियों को उनके नुकसान की रिपोर्ट मिल चुकी है, लेकिन उनके परिजनों को तत्काल कोई राहत नहीं मिली है। संगठन के लोगों ने उन्हें तिरपाल, राशन सामग्री, पीने का पानी और दवाएं उपलब्ध कराईं है।

देखिए सामाजिक संगठनों की मदद की तस्वीरें…

बारिश से घर ध्वस्त होने के बाद लोगों को तिरपाल देते संगठन के सदस्य।

बारिश से घर ध्वस्त होने के बाद लोगों को तिरपाल देते संगठन के सदस्य।

बारिश से कई लोगों के घरों को नुकसान पहुंचा है। सामाजिक संगठनों ने पीड़ितों को राशन समेत अन्य जरूरी सामान मुहैया कराया है।

बारिश से कई लोगों के घरों को नुकसान पहुंचा है। सामाजिक संगठनों ने पीड़ितों को राशन समेत अन्य जरूरी सामान मुहैया कराया है।

रूपनगर से सटे हिमाचल के गांव में बारिश की वजह से मकान को हुआ नुकसान।

रूपनगर से सटे हिमाचल के गांव में बारिश की वजह से मकान को हुआ नुकसान।

बारिश की वजह से मकान में जगह-जगह दरारें आ गई। जिसके चलते लोग खुले आसमान में टैंट लगाकर रह रहे हैं।

बारिश की वजह से मकान में जगह-जगह दरारें आ गई। जिसके चलते लोग खुले आसमान में टैंट लगाकर रह रहे हैं।

घरों हो हुए नुकसान के बाद लोग टैंट लगाकर रह रहे हैं।

घरों हो हुए नुकसान के बाद लोग टैंट लगाकर रह रहे हैं।

संगठन के सदस्य पांच किलोमीटर पथरीले रास्तों से चलकर गांवों तक पहुंचे।

संगठन के सदस्य पांच किलोमीटर पथरीले रास्तों से चलकर गांवों तक पहुंचे।

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